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भारत के संविधान को कविता में ढाला साहित्यकारों ने ।



शिवपुरी / / भारत रत्न डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती पर भारत का संविधान छंद बद्ध सृजन के रूप में प्रकाशित हुआ । छंदबद्ध भारत के संविधान को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रदान किया गया है । 142 करोड़ भारतीय नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हुए 142 सृजनकारों के साझा सहयोग से लगभग एक वर्ष के कठिन परिश्रम से ही ये संभव हुआ है । प्रमुख संपादक डॉ ओमकार साहू मृदुल की परिकल्पना एवं कड़ी मेहनत से इसे साकार रूप दिया जा सका । दोहा, रोला एवं अन्य 24 छंदों में इसे छंदबद्द किया गया है । शब्दों का चयन करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि मूल अर्थ एवं भाव में किसी भी प्रकार का अंतर न हो ।देश के चयनित 142 सृजनकारों में से एक नाम शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार अवधेश सक्सेना का भी भी है । अवधेश सक्सेना ने आर्टिकल 230 से 235 तक को दोहे और रोला छंद में लिपिबद्ध किया है । हिंदी माध्यम के विधि छात्रों एवं यूपीएससी, पीएससी आदि परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतियोगियों के लिए संविधान के आर्टिकल्स को छंद बद्ध होने से गेयता के साथ याद रखने में आसानी होगी । विधि विशेषज्ञों, विधि शिक्षकों, विधि सलाहकारों, अधिवक्ताओं एवं न्यायधीशों को भी छंदबद्ध भारत का संविधान निश्चित ही पसंद आएगा ।
माह जून 2024 में एक भव्य समारोह में इसके विमोचन का प्रस्ताव आयोजकों द्वारा प्रस्तावित है ।

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